भारत महामारी के कारण हुए लॉकडाउन से धीरे धीरे बहार निकल रहा है और अक्टूबर १ से अनलॉक के पांचवे चरण में पहुँच चूका है। इसके तहत धीरे- धीरे सभी व्यवसायिक, राजनैतिक, धार्मिक गतिविधियाँ पुनः आरम्भ हो रही हैं| ज़्यादातर शिक्षण संस्थान अभी ऑनलाइन क्लासेज को एक बेहतर विकल्प के तौर पर देख रहे हैं जिसके माध्यम से वह छात्रों के पठन- पाठन को बिना शैक्षिक संस्थानों को खोले भी कार्यान्वित रख सकते हैं| लेकिन दिल्ली के सरकारी स्कूलों में गरीब परिवारों के लगभग 16 लाख छात्र पढ़ते हैं जिनमें से अनेकों छात्र ऐसे हैं जिनके पास न तो लैपटॉप है, न ही कम्यूटर।
कई छात्रों के पास तो फ़ोन तक की सुविधा नही है| कई परिवारों में एक स्मार्टफोन और स्कूल जाने वाले बच्चे चार हैं ऐसे में उन सभी के लिए ऑनलाइन क्लासेज ले पाना असम्भव है|समस्याएं मात्र छात्रों के समक्ष ही नही अपितु कई शिक्षकों के समक्ष भी उत्पन्न हो रही हैं, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सैकड़ों की संख्या में ऐसे अध्यापक पढ़ा रहे हैं,जो स्वयं हेतु स्मार्टफोन के उपयोग को सहज नही समझते थे, ऐसे में उनके लिए ऑनलाइन माध्यम से छात्रों को पढना अत्यंत जटिल है|
दिल्ली के तीन नगर निकायों में पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) में 364 स्कूल हैं जिनमें 1.7 लाख से अधिक छात्र पढ़ते हैं, उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) में 714 स्कूल हैं जिनमें 3.5 लाख से अधिक की संख्या में छात्र पढ़ते हैं, जबकि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) में 575 स्कूलों में लगभग 2.5 लाख छात्र पढ़ते हैं| साथ ही गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् एक स्वायत्त निकाय हैं जिसमे 45 स्कूल हैं तथा 30 हजार से अधिक छात्र इन स्कूलों में पढ़ते हैं|
राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय( न्यू कोंडली) में 12 वी कक्षा में पढने वाले नीतिन का कहना है की उनकी ऑनलाइन क्लासेज यूट्यूब के माध्यम से चल रही है। “ऑनलाइन क्लासेज लेते तो हैं परन्तु न तो इन क्लासेज में ज्यादा कुछ समझ आता है और न ही नेटवर्क ठीक से रहते हैं की वह पूरी क्लास अच्छे से ले सकें,” नितिन ने दैनिक संवाद को बताया| वहीँ राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय (वसुंधरा एन्क्लेव) में कक्षा 10 वी में पढने वाले छात्र विकास के पास स्मार्टफोन तो हैं परन्तु नेटवर्क और ट्रेनिंग न दिए जाने की वजह से वह ऑनलाइन क्लासेज लेने में सक्षम नही हैं |
जब दैनिक संवाद ने राजकीय सर्वोदय विद्यालय (दल्लूपुरा) में भूगोल पढ़ाने वाले एक अध्यापक से बात की उन्होंने हमें बताया की उनके स्कूल में अभी ऑनलाइन क्लासेज आधिकारिक तौर पर शुरू नही हुई हैं, उन्हें डिपार्टमेंट के द्वारा वीडियोज भेजे जाते हैं जिनके आधार पर वह छात्रों को मोडल पेपर्स बना कर भेजते हैं| साथ ही उन्होंने ने हमे यह भी बताया की अनेकों छात्र ऑनलाइन क्लासेज लेने में सक्षम नही है क्योंकि कई छात्र बताते हैं की उनके पीता जी मजदूर वर्ग की नौकरी करते हैं तथा वह बड़ा फोन लेने में सक्षम नही है, कई छात्रों का यह कहना है की वह ग्रामीण क्षेत्रों में हैं नेटवर्क की समस्या है, क्लास कैसे लें? अध्यापक ने यह भी कहा की प्राइवेट स्कूल के छात्रों के पास फैसीलिटिज हैं वह दिनभर लैपटॉप के सामने बैठकर पढ़ सकते हैं, परन्तु सरकारी स्कूल में पढने वाले गरीब छात्रों हेतु यह संभव नही है|
राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय (न्यू कोंडली) में सामाजिक विज्ञान पढ़ाने वाले अध्यापक ने बताया की छात्र क्लासेज तो ले रहे हैं, लेकिन उनके समक्ष समस्याएं भी आ रही है, कई अभिभावकों का कहना है की उनके पास इतनी आय नही है की वह ऑनलाइन क्लास के लिए अलग से डाटा रिचार्ज करें और डेली मिलने वाले डाटा से सभी क्लासेज लेना संभव नही| ऑनलाइन शिक्षा के कारण छात्रों तथा अध्यापकों का भावनात्मक जुडाव भी कम हो रहा है| जब हमने इनसे पूछा की क्या आपके स्कूल में उम्रदराज अध्यापक ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं तो उनका जवाब था हाँ, लेकिन वह अत्यंत कठनाइयों का सामना कर रहे हैं उनके लिए यह थोडा मुश्किल है|